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ज़िन्दगी में असली कमाई पैसा नहीं बल्कि संतोष है

In life the real earning is not money but satisfaction


ऐसे लोग जो अपना पूरा जीवन धनोपार्जन में लगा देते हैं लेकिन इस उठापटक में उन्हें न ही मानसिक शांति मिलती है और न ही संतोष , उक्त संदेश उन्हीं के लिए है ।


हमारे शास्त्रों में "संतोष धन " को सबसे कीमती बताया गया है। ये बात अनुभव पर आधारित है । दरअसल सन्तोष केवल भौतिक उपलब्धियों से नहीं आता वरना हर अमीर इंसान प्रसन्न दिखाई देता जबकि सच्चाई इसके ठीक विपरीत है।


सच्चाई ये है कि जो लोग दूसरों को प्रसन्न रखने के लिए संकल्पबद्ध होते हैं वे भले ही धन न कमा सकें लेकिन उनके पास संतुष्टि रूपी जो दौलत होती है वह बड़े से बड़े धनकुबेर की सम्पन्नता से किसी भी तरह कम नहीं होती।


इसीलिये कामयाबी को इस बात से आंकना चाहिए कि उससे मिलने वाला आनन्द कितना है??


मप्र के जबलपुर शहर में कार्यरत विराट हास्पिस में उक्त विचार को कार्यरत होते देखा जा सकता है जहां कैंसर की अंतिम अवस्था के मरीजों की निःस्वार्थ सेवा करते हुए उनके शेष जीवन में खुशियों के रंग भरने का प्रयास किया जाता है।


संतोष रूपी धन की सोच पर आधारित विराट हॉस्पिस एक स्वयंसेवी संस्थान है जो बिना शासकीय सहायता के सामाजिक सहयोग से संचालित है।


शुरुवात में ये सवाल भी उठा कि जिनकी मृत्यु सुनिश्चित हो उनकी सेवा से लाभ क्या?लेकिन शीघ्र ही समाज ने भी इसकी उपयोगिता को स्वीकार किया।


इसकी कल्पना को वास्तविकता में परिणित किया साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने जिन्होनें छह वर्ष पूर्व अपने पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन ब्रह्मर्षि विश्वात्मा बावरा जी महाराज की दिव्य प्रेरणा से इसकी शुरुवात की।


अब तक 1040 से ज्यादा कैंसर मरीज इसकी सेवाएं ले चुके हैं । उल्लेखनीय ये है कि विराट हॉस्पिस मृत्यु के द्वार पर बैठे इन मरीजों के चेहरों पर सुख और संतोष के भाव जहां उत्पन्न कर सका वहीं इससे जुड़े असंख्य सेवाभावी भी पीड़ित मानवता की निस्वार्थ सेवा के इस अनुष्ठान से प्राप्त मानसिक आनन्द से तृप्ति का अनुभव कर रहे हैं।

यहां कैंसर मरीजों को जरूरी इलाज, दवाइयां, डाक्टरी सलाह और 24 घंटे नर्सिंग सेवा दी जा रही है। एक परिवार जन के साथ उनके भोजन एवं आवास का समूचा इंतज़ाम सामाजिक सहयोग से पूरी तरह निःशुल्क किया जाता है। इसकी वर्तमान क्षमता 28 बिस्तरों की है ।


सेवा के बदले सन्तोष के उद्देश्य से संचालित विराट हास्पिस को अत्याधुनिक स्वरुप देते हुए भेड़ाघाट के समीप गोपालपुर में जनसहयोग से 3 एकड़ भूमि पर भव्य परिसर का निर्माण किया गया है। जिसमें 48 मरीजों को रखने का प्रबन्ध किया जा रहा है। अतिशीघ्र यहां रेडियेशन सुविधा भी उपलब्ध रहेगी । मरीजों को प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छ पर्यावरण का लाभ भी मिल रहा है।


इस मानवीय कार्य में उन सभी महानुभावों की सहायता अपेक्षित है जो अपनी आय का सेवा कार्य में सदुपयोग कर जीवन को आनन्दमय बनाना चाहते हैं।


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